Washington Sundar:टीम इंडिया के कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें आईपीएल में प्लेइंग इलेवन में खेलने का मौका नहीं मिलता। ये खिलाड़ी भारतीय टीम के लिए लगातार सभी फॉर्मेट में खेलते हैं, लेकिन आईपीएल में टीम कॉम्बिनेशन के कारण उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिलती। आज हम ऐसे ही एक भारतीय खिलाड़ी के बारे में बात करेंगे, जो पिछले दो साल से आईपीएल में ज्यादातर समय बेंच पर ही रहा है।
Washington Sundar को नहीं मिल रहा खेलने का मौका
हम जिस खिलाड़ी की बात कर रहे हैं, वह हैं वाशिंगटन सुंदर। वाशिंगटन सुंदर (Washington Sundar) भारतीय क्रिकेट टीम के एक अहम खिलाड़ी हैं, जो तीनों फॉर्मेट में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने अपनी गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों से कई अहम मौकों पर टीम इंडिया के लिए शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन जब बात आईपीएल की आती है, तो उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिल पाती।
पिछले दो सालों में वाशिंगटन सुंदर (Washington Sundar) सनराइजर्स हैदराबाद टीम का हिस्सा रहे, लेकिन ज्यादातर समय उन्हें बेंच पर ही बैठना पड़ा। हैदराबाद में रहते हुए उन्हें खेलने के ज्यादा मौके नहीं मिले, जिससे उनका आईपीएल करियर प्रभावित हुआ। अब आईपीएल 2025 में वह गुजरात टाइटंस टीम में शामिल हुए हैं, लेकिन यहां भी उन्हें पहले ही मैच में प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं दिया गया।
यह एक चौंकाने वाली बात है कि भारतीय टीम का एक नियमित खिलाड़ी, जो तीनों फॉर्मेट में टीम के लिए खेलता है, उसे आईपीएल में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। उम्मीद है कि आने वाले मैचों में वाशिंगटन सुंदर (Washington Sundar) को मौका मिलेगा और वह अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित करेंगे।
इंपैक्ट प्लेयर नियम ने खत्म किया ऑलराउंडर का करियर
आईपीएल में इम्पैक्ट प्लेयर नियम आने के बाद ऑलराउंडरों की अहमियत में काफी गिरावट आई है, और इसका सीधा असर वाशिंगटन सुंदर (Washington Sundar) जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों पर पड़ा है। अब टीमें उनकी जगह एक विशेष बल्लेबाज या एक विशेष गेंदबाज को प्राथमिकता दे रही हैं। यही कारण है कि वाशिंगटन सुंदर जैसे खिलाड़ी, जो गेंद और बल्ले दोनों से योगदान देने में सक्षम हैं, प्लेइंग इलेवन में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
सनराइजर्स हैदराबाद में रहते हुए भी सुंदर को पिछले दो वर्षों में ज्यादा मौके नहीं मिले, और अब जब वह गुजरात टाइटंस के साथ जुड़े हैं, तब भी उन्हें पहले मैच में प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया। यह साफ दर्शाता है कि इम्पैक्ट प्लेयर नियम के चलते ऑलराउंडरों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस नियम के तहत टीमें एक अतिरिक्त विशेष बल्लेबाज या गेंदबाज को खिलाने में सक्षम हो गई हैं, जिससे ऑलराउंडरों की भूमिका सीमित हो गई है।
अगर यह नियम लंबे समय तक लागू रहता है, तो भविष्य में ऑलराउंडरों की उपयोगिता और मांग और भी कम हो सकती है, जिससे इस खास कौशल को सीखने वाले खिलाड़ियों की संख्या भी घट सकती है। बीसीसीआई को इस नियम पर दोबारा विचार करना चाहिए और जल्द से जल्द इसे हटाने पर विचार करना चाहिए, ताकि आईपीएल में फिर से संतुलन बना रहे और ऑलराउंडरों को भी उचित मौके मिल सकें.
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