क्रिकेट में जज्बे और जुनून की कई कहानियाँ बनी हैं, लेकिन जो नज़ारा नामीबिया और कनाडा के बीच खेले गए ICC World Cup लीग 2 (2023-27) के मुकाबले में दिखा, वह क्रिकेट प्रेमियों को हमेशा याद रहेगा। एक रोमांचक मुकाबले में जब एक टीम हार की कगार पर थी, तब एक खिलाड़ी ने अपने चोटिल हाथ के बावजूद मैदान पर उतरकर बहादुरी दिखाई। यह लम्हा क्रिकेट के असली जज्बे को दर्शाता है और जिसने भी यह देखा, उसने उस खिलाड़ी को सलाम किया।
ICC World Cup :पहली पारी में नामीबिया का संघर्षपूर्ण स्कोर
इस मुकाबले में नामीबिया ने पहले बल्लेबाजी की और पूरी टीम 49 ओवर में 186 रन बनाकर ऑलआउट हो गई। नामीबिया की ओर से यान निकोलस कोट्ज़े ने 48 और लोफ्टी ईटन ने 47 रन की शानदार पारियां खेलीं, जिससे टीम एक सम्मानजनक स्कोर तक पहुँच सकी। दूसरी ओर, कनाडा के गेंदबाजों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। सलमान सना और कलिमुल्लाह अहमदज़ई की घातक गेंदबाजी ने नामीबिया की पारी को बड़ा स्कोर बनाने से रोक दिया। दोनों गेंदबाजों ने 4-4 विकेट झटके और नामीबिया को 186 पर रोक दिया।बारिश के कारण डकवर्थ-लुइस नियम लागू हुआ और कनाडा को 43 ओवर में 167 रनों का लक्ष्य मिला।
प्रवीण कुमार का जज्बा

लक्ष्य का पीछा करने उतरी कनाडा की टीम की शुरुआत बेहद खराब रही। हालांकि, टीम के सलामी बल्लेबाज युवराज समरा ने 53 रन की पारी खेली, लेकिन उन्हें दूसरे छोर से कोई खास सहयोग नहीं मिला। इसी बीच, एक ऐसा पल आया जिसने सबको हैरान कर दिया।
कनाडा के भारतीय मूल के खिलाड़ी प्रवीण कुमार, जो खुद एक गेंदबाज हैं, पहले इनिंग में गेंदबाजी के दौरान चोटिल हो गए थे। गेंद रोकने के दौरान उनकी कलाई में फ्रैक्चर या गंभीर चोट आई थी, जिसके कारण वह काफी दर्द में थे। ऐसा लग रहा था कि वह आगे बल्लेबाजी करने के लिए मैदान पर नहीं आएंगे। लेकिन, जब टीम संकट में थी, तब प्रवीण ने अपनी चोट को दरकिनार करते हुए एक हाथ से ही बल्लेबाजी करने का फैसला किया। यह देखकर दर्शकों और कमेंटेटर्स की आँखें फटी की फटी रह गईं।
हालांकि, प्रवीण ज्यादा देर तक क्रीज पर टिक नहीं पाए और आउट हो गए, लेकिन उनकी इस बहादुरी ने हर किसी का दिल जीत लिया। उनकी टीम 154 रन पर ऑलआउट हो गई और मुकाबला 12 रनों से नामीबिया के नाम रहा। नामीबिया के लिए गेरहार्ड इरास्मस ने 4 विकेट लेकर कनाडा की बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी और वह इस जीत के हीरो बने।
इस मुकाबले में भले ही कनाडा को हार मिली हो, लेकिन प्रवीण कुमार का जज्बा क्रिकेट इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। उनका यह जुनून इस खेल की असली भावना को दर्शाता है, जिसे हर क्रिकेट प्रेमी सलाम करेगा।