आईपीएल 2025 की शुरुआत हो चुकी है और राजस्थान रॉयल्स की कप्तानी संजू सैमसन के हाथों में है। लेकिन चोटिल होने के कारण संजू सैमसन पहले तीन मैचों में राजस्थान रॉयल्स के कप्तान नहीं हैं, और उनकी जगह रियान पराग (Riyan Parag) को टीम की कप्तानी सौंपी गई है। हालांकि, कई लोगों को यह सवाल परेशान कर रहा है कि यशस्वी जायसवाल से पहले राजस्थान रॉयल्स ने रियान पराग को कप्तान क्यों बनाया। आज हम आपको इसी बारे में विस्तार से बताएंगे।
Riyan Parag चाचा की वजह से बने कप्तान
रियान पराग (Riyan Parag) के चाचा रंजीत बारठाकुर राजस्थान रॉयल्स फ्रेंचाइजी में हिस्सेदार हैं। रंजीत बारठाकुर असम के एक जाने माने बिजनेसमैन हैं और राजस्थान रॉयल्स के साथ लंबे समय से जुड़े हुए हैं। संयोग से वे रियान पराग के चाचा भी हैं, और यही वजह है कि साल 2019 से ही रियान पराग राजस्थान रॉयल्स टीम का हिस्सा बने हुए हैं।
माना जा रहा है कि फ्रेंचाइजी में रंजीत बारठाकुर की मौजूदगी और प्रभाव के कारण ही रियान पराग (Riyan Parag) को कप्तानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस फैसले ने कई क्रिकेट प्रशंसकों और विशेषज्ञों को हैरान किया है, क्योंकि यशस्वी जायसवाल जैसे युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी इस भूमिका के लिए उपयुक्त माने जा रहे थे।
यशस्वी जायसवाल के साथ हुआ भेदभाव
यशस्वी जायसवाल भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं और उन्हें भविष्य का कप्तान बनने की दौड़ में भी देखा जाता है। उनकी शानदार बल्लेबाजी और निरंतर अच्छे प्रदर्शन ने उन्हें भारतीय क्रिकेट में एक खास मुकाम दिलाया है। लेकिन जब राजस्थान रॉयल्स ने अपनी टीम की कप्तानी के लिए रियान पराग (Riyan Parag) को चुना, तो यह फैसला कई लोगों को चौंकाने वाला लगा। खासकर यशस्वी जायसवाल के लिए यह एक निराशाजनक फैसला रहा, क्योंकि वह लंबे समय से टीम के प्रमुख खिलाड़ियों में से एक रहे हैं और कप्तानी के प्रबल दावेदार भी माने जा रहे थे।
इस फैसले के बाद अब यह साफ हो गया है कि आईपीएल में भी नेपोटिज्म तेजी से बढ़ रहा है। रियान पराग (Riyan Parag) के चाचा रंजीत बारठाकुर राजस्थान रॉयल्स फ्रेंचाइजी में हिस्सेदार हैं, और इस वजह से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि पारिवारिक संबंधों के कारण उन्हें कप्तानी सौंपी गई। यह फैसला न सिर्फ जायसवाल बल्कि उन तमाम खिलाड़ियों के लिए भी एक झटका है, जो अपनी मेहनत और प्रदर्शन के दम पर आगे बढ़ना चाहते हैं। आईपीएल जैसी बड़ी लीग में, जहां युवा खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच मिलता है, वहां इस तरह के फैसले सवाल खड़े करते हैं कि क्या वास्तव में चयन सिर्फ प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है या फिर पारिवारिक और निजी संबंध भी इसमें अहम भूमिका निभाते हैं।
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