Team India
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जब एक भारतीय दिग्गज पर सवाल उठाए जा रहे थे, लेकिन उन्होंने खुद को साबित करने के लिए कुछ ऐसा किया, जिसे क्रिकेट के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। एक ऐसा समय था जब भारतीय टीम (Team India) के चयनकर्ता, कप्तान और मैनेजमेंट को इनपर क्षमता पर संदेह था, लेकिन इस दिग्गज ने अपनी बैटिंग से सभी को चुप करवा दिया। आखिर कौन हे वो दिग्गज?

वीरेंद्र सहवाग की तूफानी पारी

8 दिसंबर 2011 को, भारत और वेस्टइंडीज के बीच एक वनडे मैच खेला जा रहा था, जहां टीम इंडिया (Team India) ने पहले बैटिंग की। इस मैच में सहवाग ने एक धमाकेदार पारी खेली और 219 रन बनाए। यह पारी न केवल उनके करियर की सबसे यादगार पारियों में से एक थी, बल्कि इसने इतिहास भी रच दिया। 219 रन बनाकर सहवाग ने सचिन तेंदुलकर के 200 रन के रिकॉर्ड को तोड़ा और एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया। उनके 25 चौकों और 7 छक्कों ने वेस्टइंडीज के गेंदबाजों की जमकर धुलाई की।

वीरेंद्र सहवाग ने दबाव में जड़ा दोहरा शतक

वीरेंद्र सहवाग के लिए यह पारी खास थी क्योंकि उनके ऊपर फिटनेस और फॉर्म को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे थे। टीम में उनकी जगह को लेकर भी चर्चाएं थीं, लेकिन उन्होंने इन सब बातों का जवाब बैटिंग के द्वारा दिया। उन्होंने अपनी पारी के दौरान न केवल छक्के-चौकों की बौछार की, बल्कि अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण का परिचय भी दिया। सहवाग की इस पारी ने यह सिद्ध कर दिया कि क्रिकेट में उम्र कभी भी खिलाड़ी की क्षमता के आड़े नहीं आती।

भारत को मिला बड़ी जीत

भारत ने वीरेंद्र सहवाग की शानदार पारी की मदद से 418 रन बनाए, जो किसी भी वनडे में उनका उच्चतम स्कोर था। वेस्टइंडीज को 419 रनों का लक्ष्य मिला, लेकिन वे इसे हासिल करने में नाकाम रहे। भारत ने इस मैच को 153 रनों से जीत लिया। इस जीत में सहवाग की अहम भूमिका थी, और उन्हें ‘मैन ऑफ द मैच’ का अवार्ड भी मिला। इस पारी ने सिर्फ उनके आलोचकों को जवाब नहीं दिया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि वे टीम इंडिया (Team India) के लिए अभी भी एक मजबूत कड़ी हैं।

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